एजेंट धोखा दे गया
सुनील कुमार शर्मा
हमारे गाँव के चौबे जी, जो पहले भी कई बार छब्बे जी बनने निकल चुके है, पर बदक़िस्मती से हरबार वह दूबे जी ही रह जाते हैं।
इस बार वह छब्बे जी बनने के लिए विदेश जा रहे थे। धोती-कुर्ते की जगह पतलून–कमीज़ पहनकर चल रहे चौबे जी को बस में चढ़ाने के लिए सारा गाँव बस अड्डे तक गया; क्योंकि उन्होंने सारे गाँव को आश्वासन दिया था कि अगर एक बार वह विदेश पहुँच गए तो गाँव के बच्चे-बच्चे को वही बुला लेंगे। जिससे चौबे जी के लिए सारा गाँव दुआएँ कर रहा था। चौबे जी को बस पर चढ़ाकर वापस आते हुए गाँव की महिलाएँ, उनकी पत्नी को नयी नवेली दुलहन की तरह घेरे हुए चल रही थीं परन्तु चार ही दिन बाद चौबे जी पहले की तरह मुँह लटकाए हुए वापस आ गए
सुना है, इस बार उन्हें एजेंट धोखा दे गया। गाँव के लोग कह रहे है पत्नी के सारे ज़ेवर बेचने के बाद, उन्होंने उधार मेंं भी पैसा लिया था, वह सब डूब गया।
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