स्मृतियों में हार्वर्ड

 

अगर बोस्टन नगर समझ में नहीं आया तो कैम्ब्रिज नगर समझ में नहीं आएगा और अगर कैम्ब्रिज नगर समझ में नहीं आया तो हार्वर्ड विश्वविद्यालय को बिल्कुल नहीं समझ पाओगे। यह एक पुराने ज़माने से चली आ रही धारणा है। अमेरिका के शहरों में बोस्टन की एक स्वतंत्र सत्ता है, जो उसे शिकागो, न्यूयार्क, लॉसएंजिलस अथवा सेनफ्रेंसिस्को से पूरी तरह अलग कर देता है। इस स्वतंत्र सत्ता के सम्बन्ध में बहुत बार समीक्षा की गई है।

जिस समय बोस्टन ने अपने जीवन के दो सौ साल (1976) पूरे किये, उस समय अनेक पुस्तकें तथा समीक्षाएँ प्रकाशित हुई थीं।

मुझे ऐसा लगता है, ये स्वतंत्र सत्ता दो वस्तुओं में निहित है। पहले बोस्टन नाम का उच्चारण करने से ही मन में आएगा कि लोगों की यह धारणा सही है कि यह शहर दूसरे शहरों की तरह नहीं है। एक असाधारण, अद्भुत जन-समागम वाला शहर है। दूसरा कारण आधुनिक अमेरिका का उदय बोस्टन से हुआ। सैम एडम्स के बिना क्रांति सम्भव नहीं थी, जिस प्रकार स्वतंत्रता की घोषणा भी जॉन एडम्स के बिना सम्भव नहीं थी। बोस्टन एक वैसा शहर है, जहाँ जगह व्यक्ति और संस्कृति में बदल जाती है।

केवल युद्ध नहीं, स्वाधीनता का आह्वान नहीं, पिलग्रिम फ़ादर के चाय के बक्सों को समुद्र में फेंकना भी नहीं। बोस्टन टी पार्टी तो सहज में इतिहास का एक बड़ा अध्याय है। स्वाधीनता संग्राम के सूक्ष्म स्वर, जो धीरे-धीरे कॉनकॉर्ड में रण-दुंदुभि में बदल गए थे। बहुत सारे बग़ीचों में, विभिन्न शैलियों में तरह-तरह के लोगों ने अपना योगदान दिया है बोस्टन के निर्माण में, जो कि अमेरिका की सभ्यता की हृदय-स्थली है। चैनिंग पार्क बीच और बोस्टन चर्च से गैरिसन के मध्य दृढ़ संकल्प की घोषणा के बाद दास-प्रथा का उन्मूलन संभव हुआ। उन्होंने दृढ़ स्वर में चर्च का घोषणापत्र जारी किया क्योंकि यह प्रथा क्रिश्चियन धर्म के विरुद्ध थी। अंकल टाम्स केबिन की लेखिका हैरिएट बीचर स्टो से मिलकर लिंकन ने कहा था कि तुम वही छोटी औरत हो, जिसने इतने बड़े युद्ध को आरंभ किया है! जब-जब मैं बोस्टन शहर में घूमता हूँ, अकेले या यूनिवर्सिटी के दोस्तों के साथ, यह इतिहास मेरे मन में उभर कर सामने आता है।

बोस्टन का नाम मन में आते ही, याद आने लगते हैं अमेरिका के सारे राष्ट्राध्यक्ष जॉन एडम्स, जॉन क्विन्सी एडम्स, जॉन फ़िट्ज़जेर्ल्ड केनेडी और उनके समकक्ष तथा अमेरिका के जनजीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालने वाले अधिकारी बेन फ्रेंकलिन, डॉन वेबस्टर, ऑलिवर वेंडल होम्स, मैसाचुसेट्स राज्य, कॉनकॉर्ड तथा बोस्टन आदि। अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ दार्शनिक राल्फ वाल्डो इमर्सन, सर्वश्रेष्ठ मुक्तिचिंतक हेनेरी डेविड थोरो और प्रथम महत्त्वपूर्ण उपान्यसकार नथेनिअल हॉथार्न। इन तीनों ने अपना समय कॉनकॉर्ड, बोस्टन में व्यतीत किया तथा कॉनकॉर्ड में समाधी ली। और चित्रकार जैसे गिल्बर्ट स्टुअर्ट, सिंग्लटन लोप्ले, सिंगर सर्वेंट इत्यादि। इतिहासकार फ़्रांसिस पार्कमैन, हिकलिंग प्रेस्कॉट और लॉथ्रॉप मोट्ली की नज़रों में बोस्टन एक कविता है। दूसरी तरफ़ कवि लांगफेलो, विटियर, लोअल और वेंडल होम्स ने इसका इतिहास लिखा है। यहाँ कविता, चित्रकला, और इतिहास सभी मिलकर एकाकार हुआ है। मन से बोस्टन की उन महान नारियों को भी याद करना होगा जैसे लुइसा आल्कॉट, रोज़ फ़िट्ज़जेर्ल्ड केनेडी, मैरी बेकर जिन्होंने क्रिश्चियन साइंस सेंटर की स्थापना की।

बोस्टन न्यू इंग्लैंड का हृदय था। जिन लोगों ने विद्रोह करके प्लीमथ में आकर शरण ली थी, वे पिलग्रिम फ़ादर ख़ासकर उच्च शिक्षित लोग थे। बोस्टन में रहते समय मज़ाक-मज़ाक में उन्हें बोस्टन का ब्राह्मण कहा जाता था। विशेषकर दो उपनाम हुआ करते थे लोअल और कैबोट। बोस्टन का मुख्य भोजन बीन्स और कॉड मछलियाँ था। उससे एक लोकोक्ति बनी:

“In this land of bean and cod, the Lowells speaks only to Cabot and the Cabots speaks only to God.” (इस बीन और कॉड की धरती पर लोअल’स केव कैबोट से बात करते हैं और कैबोट केवल परमात्मा से बात करते हैं)। उस समय बोस्टन की जो भाषा थी, आज भी वैसी ही है। अंग्रेज़ी, आयरिश और यैंकी का अद्भुत सम्मिश्रण।

बोस्टन की धार्मिक आस्थाएँ क्या थीं? पहले जितने भी परिवार यहाँ आए तथा न्यू इंग्लैंड और बोस्टन को बसाया, उनका धर्म था एपिस्कोपेलियन (Episcopalian), जिसके बारे में एर्मसन कहते हैं—The best diagonal line that could be drawn between the life of Jesus Christ and that of Boston Merchant. (यीशु मसीह के जीवन और बोस्टन के व्यापारी के जीवन के बीच सबसे अच्छी विकर्ण रेखा खींची जा सकती है।) यह द्वैतभाव बोस्टन शहर के गिरजाघरों, बहुत ऊँचे हैनकॉक टॉवर, प्रूडेंशियल बिल्डिंग और मार्केट कांप्लेक्स में सहजता से देखा जा सकता है।

बोस्टन शहर में मेरी एक प्रिय जगह थी ट्रिनिटी चर्च। शहर के केन्द्र में कोप्ले स्केवयर में स्थित यह चर्च दुनिया का सबसे सुंदर स्थान है, जिसकी स्थापत्य तथा भास्कर्य कला बहुत प्रसिद्ध व चर्चित है। वाशिंगट के केथेड्रल चर्च ऑफ़ सेंट पीटर एवं सेंट पॉल, संक्षेप में नेशनल केथेड्रल के साथ इसकी तुलना की जाती है। मैंने रोम में वेटिकन सिटी का सुंदर एवं विशाल सेंट पिटर्स चर्च, लंदन का सेंटपाल, इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के किंग्स कॉलेज के अपेक्षाकृत छोटा केथेड्रल तथा जर्मनी के कोलोन शहर का चर्च देखे—ये चारों मेरी दृष्टि में बहुत ही सुंदर तथा स्थापत्य-भास्कर्य दृष्टिकोण से आकर्षक, काँच पर बाइबिल के चित्रों का सुंदर अंकन है। उन सभी के साथ मैं बोस्टन के ट्रिनिटी को भी जोड़ता हूँ। मुझे उसकी भवन-निर्माण तथा स्थापत्य-कला बहुत ही अच्छी लगी। जब भी मैं अमेरिका और हार्वर्ड आता हूँ (एक साल रहने के बाद और तीन बार आया हूँ), तब मैं बोस्टन ज़रूर जाता हूँ ट्रिनिटी से मिलने। बोस्टन अमेरिकन रोमन कैथोलिक्स से भरा हुआ है। कम से कम एक हज़ार लोग रविवार को यहाँ आते हैं, कभी-कभी बहुत दूर के न्यू हैम्पशायर और केपकॉड के पैरिश से भी। सुना था, पहले ज़्यादातर वयस्क, विधवाएँ और बूढ़े लोग आते थे। मगर अभी सपरिवार बहुत लोग आते हैं। ट्रिनिटी के चर्च स्कूल में पहले बहुत कम बच्चे पढ़ते थे, मगर अभी दो सौ से ज़्यादा पढ़ते हैं। ट्रिनिटी के कम्यूनिटी चर्च में अनेक प्रोग्राम होते हैं। वाशिंगटन के केथेड्रल में प्रतिदिन छह सर्विस और रविवार को सात होती थीं। इसके अतिरिक्त बहुत सारे कॉन्सर्ट, विशेष अनुष्ठान एवं इवेंट का आयोजन होता रहता है।

बोस्टन शहर के डाऊन-टाऊन अर्थात् व्यापारिक केन्द्र और सघन आबादी वाले अंचल से होते हुए हाइवे लोगन अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक गया है। पोताश्रय टनल से होते हुए यात्री लोग एयरपोर्ट तक पहुँचते हैं। शहर की हृदय-स्थली के भीतर से जाने वाले इस द्रुतगामी ट्रैफ़िक भरे रास्ते ने शहरवासियों को परेशान कर दिया था। सौन्दर्य की दृष्टि से भी यह बहुत गंदा दिखता था। हाइवे के दोनों किनारों पर ऊँची दीवार उठाना भी सम्भव नहीं था। काफ़ी सोच-विचार करने के बाद मैसाचुसेट्स की राज्य सरकार तथा फेडेरल सरकार ने शहर के भीतर से जाने तथा एयरपोर्ट को जोड़ने के लिए एक लंबी प्रशस्त योजना बनाई थी। सन्‌ 1984 में यह योजना पारित हुई। योजना थी शहर के अंदर से हाइवे हटा देने के बाद बहुत सारी जगह पार्क बनाने के लिए मिल जाएँगी तथा शहर के सौंदर्य में अभिवृद्धि होगी। हाइवे उठ जाने पर शहर का इटालियन आबादी वाला उत्तरांचल तथा पोताश्रय के किनारों का सुंदर water front अंचल शहर के दक्षिण अंचल से अलग नहीं रहेगा और सारा शहर सही मायने में एक शहर की तरह दिखेगा। हाइवे के कारण वास्तव में ऐतिहासिक बोस्टन, जिन दो भागों में बँटा हुआ दिख रहा है, पूरी तरह से बदलकर एक हो जाएगा।

व्यक्तिगत रूप से बोस्टन के साथ अच्छी तरह परिचित होने के कारण शहर की अलग-अलग जगहों तथा ख़ासकर इटालियन उत्तरांचल में ज़्यादा घूमने की वजह से मुझे यह योजना बहुत अच्छी लगी। इसके अतिरिक्त, लोगन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुँचने वाले पोताश्रय टनल (Harborage Tunnel) वाले रास्ते में हमेशा ट्रैफ़िक जाम रहता था। यहाँ से मैं स्वयं सीआईएफ़ए के प्रोग्राम में अमेरिका, कैनेडा, यूरोपियन कम्यूनिटी, फिर भाषण देने, शिकागो, केलिफोर्निया, बर्मिंहम, मेरे परिवार पत्नी और बच्चों समेत मांट्रियल जाता हूँ। पहले रास्तों की कमी की जानकारी होने के कारण बहुत लंबी-चौड़ी टनल जो बोस्टन शहर और पोताश्रय के 110 फुट नीचे से जाएगी, यह मेरे लिए ख़ुशी की ख़बर थी। तीन बिलियन डॉलर वाली पाँच साल में ख़त्म होने वाली योजना थी। सन्‌ 1988 में मेरे कैम्ब्रिज छोड़ते समय काम आरंभ हो रहा था। बेटी के पास वांशिंगटन में रहकर यह लिखते समय मैंने अख़बार में पढ़ा था कि वह परियोजना एक साल के अंतर्गत समाप्त हो जाएगी। ख़र्च बढ़कर पन्द्रह बिलियन डॉलर तक पहुँच गया था। तब मैंने सोचा कि केवल हमारे देश में ही प्रोजेक्ट देरी से पूरे नहीं होते हैं। योजना कमीशन तथा योजना कार्यान्वयन मंत्रालय में काम करने की वजह हमारे कई प्रोजेक्टों के कार्यान्वयन में विलंब तथा उससे बढ़े ख़र्च की समस्या से मैं अच्छी तरह परिचित था। मैंने देखा, अमेरिका में भी इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। भले ही, उनके प्रयास अधिक तथ्यमूलक, आंतरिक तथा हमेशा मार्जित होते हैं।

हार्वर्ड में रहते समय मैं केवल लोगन एयरपोर्ट से आना-जाना या बोस्टन में इटालियन आबादी वाले उत्तरांचल ही नहीं, वरन्‌ शहर के पार्क, प्राचीन कोठे और घर (लुइसा ऑलक्ट, अनेक प्रेसीडेंटों के, लेखकों और कलाकारों के) तथा बोस्टन टी पार्टी के स्थानों पर अनेक बार घूमा हूँ। बोस्टन विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग में कई बार गया हूँ। बोस्टन शहर के रहने वाले हमारे कोर्स के उद्योगपति फ़ैलो जूलिएन सोबिन के साथ उनके घर गया हूँ। हमेशा याद रहेगा कि हार्वर्ड से विदा लेने से पहले जूलिएन ने सभी फ़ैलो को अपने घर पर डिनर के लिए आमंत्रित किया था तथा चीनी कलाकारों के नृत्य-संगीत का प्रोग्राम भी रखा था। उनके अपने घर में एक बहुत बड़ा हॉल था, जिसमें वह अपने उद्योगपति दोस्तों तथा अर्थशास्त्र के विशारदों को पार्टी देते हैं। ‘हम’ अर्थात् सारे फ़ैलो वहाँ उपस्थित थे, मेरे जैसे कई फ़ैलो बिना पत्नी के वहाँ अकेले आए थे।

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