डॉ. शोभा श्रीवास्तव
शिक्षा : एम.ए., बी.एड., पी-एच.डी.
लेखन विधा : कविता, ग़ज़ल, कहानियाँ आदि।
प्रकाशन : तीन पुस्तकें प्रकाशित
-
सुबह होने तक (काव्य संग्रह)
-
वतन के शहजादे (बालकाव्य संग्रह)
-
झील में उतरा हुआ चाँद (ग़ज़ल संग्रह)
देश की अनेक पत्रिकाओं एवं काव्य संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन।
साहित्यिक कर्म : राज्यस्तर एवं अन्तर्राज्य स्तर पर अनेक मंचों का पिछले कई वर्षों से मंच संचालन।
सम्मान :
-
साहित्यकला रत्न सम्मान, बल्लारी (कर्नाटक )
-
सारस्वत साहित्य सम्मान- कोलकाता
-
महादेवी वर्मा सम्मान- मथुरा
-
दुष्यन्तकुमार सम्मान एवं काव्य शिरोमणी-2012 का
-
विशिष्ट सम्मान- ग्वालियर सहित अनेक अन्य सम्मान प्राप्त।
उपाधि : मानस शिरोमणि, मानस रत्न।
संप्रति : व्याख्याता, शिक्षा विभाग।
लेखक की कृतियाँ
- गीत-नवगीत
-
- अधरों की मौन पीर
- आओ बैठो दो पल मेरे पास
- ए सनम सुन मुझे यूँ तनहा छोड़कर न जा
- कोरे काग़ज़ की छाती पर, पीर हृदय की लिख डालें
- गुरु महिमा
- गूँजे जीवन गीत
- चल संगी गाँव चलें
- जगमग करती इस दुनिया में
- जल संरक्षण
- ठूँठ होती आस्था के पात सारे झर गये
- ढूँढ़ रही हूँ अपना बचपन
- तक़दीर का फ़साना लिख देंगे आसमां पर
- तू मधुरिम गीत सुनाए जा
- तेरी प्रीत के सपने सजाता हूँ
- दहके-दहके टेसू, मेरे मन में अगन लगाये
- दीप हथेली में
- धीरज मेरा डोल रहा है
- फगुवाया मौसम गली गली
- बरगद की छाँव
- माँ ममता की मूरत होती, माँ का मान बढ़ाएँगे
- मौन अधर कुछ बोल रहे हैं
- रात इठला के ढलने लगी है
- शौक़ से जाओ मगर
- सावन के झूले
- होली गीत
- ख़ुशी के रंग मल देना सुनो इस बार होली में
- ग़ज़ल
-
- अर्श को मैं ज़रूर छू लेती
- करूँगा क्या मैं अब इस ज़िन्दगी का
- कसमसाती ज़िन्दगी है हर जगह
- किससे शिकवा करें अज़ीयत की
- ख़त फाड़ कर मेरी तरफ़ दिलबर न फेंकिए
- जहाँ हम तुम खड़े हैं वह जगह बाज़ार ही तो है
- डरता है वो कैसे घर से बाहर निकले
- तारे छत पर तेरी उतरते हैं
- तीरगी सहरा से बस हासिल हुई
- तुम्हारी ये अदावत ठीक है क्या
- दर्द को दर्द का एहसास कहाँ होता है
- धूप इतनी भी नहीं है कि पिघल जाएँगे
- नहीं हमको भाती अदावत की दुनिया
- फ़ना हो गये हम दवा करते करते
- फ़िदा वो इस क़दर है आशिक़ी में
- भुलाने न देंगी जफ़ाएँ तुम्हारी
- रात-दिन यूँ बेकली अच्छी है क्या
- रौनक़-ए शाम रो पड़ी कल शब
- वो अगर मेरा हमसफ़र होता
- वफ़ा के तराने सुनाए हज़ारों
- हमें अब मयक़दा म'आब लगे
- ख़ामोशियाँ कहती रहीं सुनता रहा मैं रात भर
- कविता
- किशोर साहित्य कविता
- हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
- नज़्म
- कविता-मुक्तक
- दोहे
- सामाजिक आलेख
- रचना समीक्षा
- साहित्यिक आलेख
- बाल साहित्य कविता
- विडियो
-
- ऑडियो
-