देखें वे हैं भावना,
जिसमें जैसी पाय।
माता के दरबार में,
वैसा ही फल पाय॥
भावनाशून्य हो गया,
अब तो ये इंसान।
मुश्किल है पहचानना,
मानव या शैतान॥
देखें वे हैं भावना,
जिसमें जैसी पाय।
माता के दरबार में,
वैसा ही फल पाय॥
भावनाशून्य हो गया,
अब तो ये इंसान।
मुश्किल है पहचानना,
मानव या शैतान॥