द्वैत 

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 288, नवम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

धूप उतर रही है 
धरती की देह पर
रूप धारण कर रही है मेरी छाया 
मैं द्वैत में होता जा रहा हूँ! 

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