पाँव मेरे मत बहकना! 

01-08-2022

पाँव मेरे मत बहकना! 

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 210, अगस्त प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

आ गईं अज्ञात गलियाँ
अज्ञात का पाकर समर्थन
खिल उठीं निष्प्राण कलियाँ 
फिर प्रतीक्षा सर उठाकर
प्रेरणा देती पदों को 
पाँव मेरे मत बहकना! 
 
रात है यह अंध काली
प्रात का बस भान है
कोकिलों का मधुर स्वर ये
स्वप्निल छलावा गान है
गीत तुम सोये रहो
जयमाल लेकर मत उतरना! 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
गीत-नवगीत
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता - हाइकु
कहानी
बाल साहित्य कविता
किशोर साहित्य कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में