ओस

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 208, जुलाई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

ओस
आकाश रोया होगा
किसी तारे के टूटने पर
 
ओस
कोई राह तड़पी होगी
किसी राहगीर के इन्तज़ार में
 
ओस
कोई वर्तमान झुका होगा
अपने अतीत की ओर
 
ओस
किसी दीये का रक्त
जो लड़ते लड़ते शहीद हो गया हो
अंधकार से . . . 

1 टिप्पणियाँ

  • 9 Jul, 2022 02:03 AM

    साधुवाद अभिषेक जी। व दिल की गहराई से आपका धन्यवाद भी...क्योंकि लगभग दो वर्ष पूर्व 'बूँदें ओस की' पर जो चार-पाँच आधी-अधूरी क्षणिकाएँ लिख कर मैं बिल्कुल भूल गई थी, उन्हें अब सही कर आज रात ही सम्पादक जी को भेजूँगी।

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