कौन देता है इतना साहस!

01-02-2022

कौन देता है इतना साहस!

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

कौन देता है
सूरज को इतना साहस! 
घने, अँधेरे, बर्फ़ीले
बादलों को चीरकर
बाहर आने का॥
 
कौन देता है
फूलों को मुस्कुराने का साहस! 
जबकि पता हो कि
रात को मुरझा जाना निश्चित है॥
 
कौन देता है
वृक्षों को साहस! 
अपनी सब पुरानी पत्तियाँ छोड़ने का, 
एकदम अकेले हो जाने का, 
और नई कोंपलों के स्वागत करने का . . . 
 
कौन देता है
हमें साहस! 
पहाड़ की खड़ी चढ़ाई में भी, 
अपने लड़खड़ाते क़दम सँभालने का, 
और फिर शिखर की ओर बढ़ने का॥
 
शायद वह विराट! 
जो हम सबके हृदय में है, 
हर एक क़दम पर वह साथ होता है, 
चाहे हम कितने भी अकेले क्यों न हों . . .॥

2 टिप्पणियाँ

  • 31 Jan, 2022 02:04 PM

    अच्छी रचना

  • 31 Jan, 2022 11:05 AM

    बहुत सुन्दर ,शुभकामनाएं

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
गीत-नवगीत
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता - हाइकु
कहानी
बाल साहित्य कविता
किशोर साहित्य कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में