कविता आख़िर है क्या 

01-12-2025

कविता आख़िर है क्या 

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 289, दिसंबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

कविता क्या है 
कुत्ते की तरह 
आधार से उठने की कोशिश करते हुए आधार पर ही मूतना 
 
या बकरी की लेंड़ी पर 
काँटा फाँसकर चकरी बना लेना 
 
या फिर पीक मार-मारकर 
झंडे की पहली पट्टी का निर्माण करना 
 
या सारे बवंडर से बचने के लिए 
भाषा का लज़ीज़ बंकर बनाना
और सबको उसी में घुसेड़ने की जद्दोजेहद करना 
 
बाग़ों में बबूल सा रूप धरना
और काँटों के बीच फूल हो जाना 
स्वर्ग में रहकर स्वर्ग को गरियाना
पंजों से दोस्ती रखना लेकिन
हर रविवार नेलकटर का अभ्यास करना

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