गीत गाओ! 

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 223, फरवरी द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

गीत गाओ गीत गाओ गीत गाओ
उत्साह के साधन सजाओ . . . 
 
रास्ते तो छल करेंगे
पाँव बढ़ने से डरेंगे
रोशनी की प्यास में 
नित कई कीड़े मरेंगे 
 
शूल से बिंध मत रुको तुम 
फूल के फिर पास जाओ! 
 
टूटता है टूटने दो
स्वप्न तो बस काँच है
साथ छूटे छूटने दो
यह नियति का नाच है 
 
मौन की इस तलहटी से
रोशनी का शब्द लाओ! 
 
गीत गाओ गीत गाओ गीत गाओ
उत्साह के साधन सजाओ . . . 

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