झपकी

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 206, जून प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

छोटी सी नींद की झपकी
मुझे मदहोश कर
न जाने कहाँ ले गई
कौन से लोक में . . . 
  
वहाँ, न सुख की स्मृति
न दुःख का उच्छवास
न मिलन की प्यास, 
न आलिंगन का अहसास, 
कुछ नहीं था, कुछ भी नहीं! 
एकदम शून्य! 
एकदम शांत! 
एकदम मुक्त! 
  
भले तुम इसे पलायन कहो, 
पर ये पलायन अच्छा है
बहुत अच्छा! 

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