कोई नहीं है साथ . . . 

15-01-2022

कोई नहीं है साथ . . . 

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 197, जनवरी द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

आज अंतिम युद्ध है, 
और मौसम क्रुद्ध है, 
दिशा सोई सुप्त है, 
कोई नहीं है साथ . . . 
 
हाथ भी बलहीन है, 
दशा मेरी दीन है, 
कैसे करूँ प्रतिवाद! 
शस्त्र भी न हाथ . . .। 
 
मूकदर्शक देखता हूँ, 
करुण पीड़ा लेखता हूँ, 
हो भले कोई नहीं, 
पर क़लम मेरे साथ . . . 
 
चक्षुओं के करुण पानी, 
से लिखूँ निज की कहानी, 
यह बनेगी ढाल उनकी, 
जो आएँगे मेरे बाद॥

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