ऐ पथिक तूँ चल अकेला

01-11-2021

ऐ पथिक तूँ चल अकेला

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 192, नवम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

ऐ पथिक! तूँ चल अकेला,
हो जवानी की प्रभा,
या जीवन की साँझ वेला,
ऐ पथिक, तूँ चल अकेला॥
  
सौभाग्य में था जो जुटा,
स्नेह देता तुझ पर लुटा,
दुर्दिनों में निश्चित हटेगा,
भीड़ का वो दिखावटी मेला,
ऐ पथिक! तूँ चल अकेला॥
 
क्या किनारे माँगता है? 
क्या सहारे माँगता है? 
थाम ले पतवार—
सृष्टि ने तुझे मझधार ठेला
ऐ पथिक तूँ चल अकेला॥ 
 
हताश होना रोक दे,
सामर्थ्य पूरा झोंक दे,
एक दिनकर चीर देता
घोर तम का सैन्य मेला,
ऐ पथिक! तूँ चल अकेला॥

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