ऐ पथिक तूँ चल अकेला
अभिषेक पाण्डेयऐ पथिक! तूँ चल अकेला,
हो जवानी की प्रभा,
या जीवन की साँझ वेला,
ऐ पथिक, तूँ चल अकेला॥
सौभाग्य में था जो जुटा,
स्नेह देता तुझ पर लुटा,
दुर्दिनों में निश्चित हटेगा,
भीड़ का वो दिखावटी मेला,
ऐ पथिक! तूँ चल अकेला॥
क्या किनारे माँगता है?
क्या सहारे माँगता है?
थाम ले पतवार—
सृष्टि ने तुझे मझधार ठेला
ऐ पथिक तूँ चल अकेला॥
हताश होना रोक दे,
सामर्थ्य पूरा झोंक दे,
एक दिनकर चीर देता
घोर तम का सैन्य मेला,
ऐ पथिक! तूँ चल अकेला॥
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