मैं सदा खोजता रहा रश्मि

01-11-2021

मैं सदा खोजता रहा रश्मि

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 192, नवम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

मैं सदा खोजता रहा रश्मि,
जीवन के इस गहन तिमिर में,
मैं सदा खोजता रहा अमर,
मृत्यु के इस महा शिविर में॥
 
करता रहा प्रतीक्षा उसकी,
जो कभी न आने वाला था,
सदा चला मैं उसी पंथ पर,
जो भटकाने वाला था॥
 
किन्तु न रंचक खेद मुझे,
हाँ, भाता है हारों का परिवेश मुझे,
मेरी चिर-भटकन श्रेयस्कर है,
लीक पकड़ चलने वालों से,
मेरी चिर-आशा श्रेयस्कर है,
निर-आशा में तपने वालों से॥

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