संवेदना
अभिषेक पाण्डेय“अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे”
जब तक भाषा के आँगन में
ऐसे मुहावरे उछल कूद करेंगे
संवेदना नहीं उपजेगी!
आकाश तक तनता जायेगा बस प्रतिकार
अमरबेल की तरह हरे वृक्ष को निगलती चली जाएगी ईर्ष्या
अगर संवेदना चीखना है
तो ख़ुद पहाड़ के नीचे जाकर देखना पड़ेगा!
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