नदी! 

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 221, जनवरी द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

नदी! 
पर्वत की बूढ़ी आँखें
तीर्थयात्रा करती हुई
नदी! 
 
एक समृद्ध कहानीकार
प्रत्यक्षदर्शी! 
देवताओं के विसर्जन की
नदी! 
 
एक भरा हुआ कोरा पृष्ठ
नदी हम सबका एकत्रित मन है
आओ एक डुबकी और! 

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