निर्जीव! 

15-11-2022

निर्जीव! 

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 217, नवम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

इस बार भी यही होगा
चाहे जितना उर्वरक डालो
जब तूफ़ान आएगा
एक एक पत्ती घास की अपना सर झुका लेगी
अभिमन्यु अकेला व्यूह में नहीं घुसेगा
इतना मूर्ख नहीं है वो
बल्कि वो तो सहयोग करेगा
युधिष्ठिर को बन्दी बनाने में! 
जाओ बूढ़ो! कविता पढ़ लो और सो जाओ! 
तुम मृत्यु के भय से मुक्त हो
यमराज का फन्दा निर्जीवों के गले में नहीं पड़ता! 

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