सचमुच वो बड़े लेखक थे! 

01-10-2022

सचमुच वो बड़े लेखक थे! 

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 214, अक्टूबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

सुना था बड़े लेखक हैं
मैं डरा सहमा-सा घर के अंदर घुसा
मन में बड़बड़ा रहा था अपनी कुछ कविताएँ
याद कर ली थीं चुनकर चार-पाँच
सोचा कुछ सुनाने को न कहने लगें
अंदर पहुँचकर देखा—
सैकड़ों डायरियों के बीच में
कहीं कहीं झाँक रही हैं
निराला और दिनकर की किताबें
अनुपात लगभग पचास और एक का होगा
मैं दबे पाँव वहाँ से खिसक लिया
सचमुच 
वो बहुत बड़े लेखक थे! 

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