सहज हूँ . . .

15-05-2022

सहज हूँ . . .

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 205, मई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

वेदना मुझसे न छीनो, 
मैं सहज हूँ . . .।
 
अश्रु रहने दो नयन में, 
आद्रता भर दो पवन में, 
और बेधो तीक्ष्ण शर से
बिद्ध उर को, 
मैं सहज हूँ . . .। 
 
प्राण को कस कँपकँपाओ, 
और तन को धर गलाओ, 
पथ्य छोड़ो, लेप दो
विष घाव में, 
मैं सहज हूँ . . .।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
गीत-नवगीत
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता - हाइकु
कहानी
बाल साहित्य कविता
किशोर साहित्य कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में