धूप और बारिश

15-03-2023

धूप और बारिश

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 225, मार्च द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)


कुछ लोग अपने ऊपर छाता तान कर चलते हैं 
वे धूप और बारिश में फ़र्क़ नहीं कर पाते 
ऐसे लोग अगर शासन के मुँह हैं 
तो कोई बात नहीं! 
अगर सत्ताच्युतों की तर्जनियाँ हैं 
तो भी कोई बात नहीं! 
पर अगर ऐसे लोग कवि हैं 
तो स्थिति सचमुच ख़तरनाक और डरावनी है! 

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