अरे नेताजी! 

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 206, जून प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

अरे नेताजी! 
लाओ, छिलका दे दो फल ले जाओ, 
लाओ, गगरी दे दो जल ले जाओ, 
लाओ, पीड़ा दे दो बल ले जाओ, 
लाओ, धरम दे दो छल ले जाओ॥
 
और भी कुछ चाहिए? 
हमारे घर में तुम्हारी
ज़रूरत का सब है, 
बताना! 
संकोच मत करना! 
तुम्हारा घर हमारा नहीं तो क्या, 
हमारे घर को तुम अपना ही समझो॥

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