चल-चल चल-चल चल-चल चल

15-02-2022

चल-चल चल-चल चल-चल चल

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 199, फरवरी द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

चल-चल चल-चल चल-चल चल, 
शूलों पर मुस्काते हुए, 
अंगारों पर गाते हुए, 
चल-चल चल-चल चल-चल चल . . .
 
झंझावातों से डरे बिना, 
नीर नयन में भरे बिना, 
मुश्किल-भट्ठी में बन ईंधन, 
जल-जल जल-जल जल-जल जल . . .
 
त्याग सुखों की सेज शयन, 
ज़रा कड़ा कर अपना मन, 
शूल-विघ्न-आँधी-पत्थर, 
दे वीर भाँति इनको उत्तर, 
वर्षा की बौछारों में, 
शस्त्रों की झंकारों में, 
पल-पल पल-पल पल-पल पल . . . 
 
जो होना था नहीं हुआ है, 
किसके मन का सदा हुआ है, 
वर्तमान जीवन स्थिति में, 
ढल-ढल ढल-ढल ढल-ढल ढल . . . 
 
स्वीकार विधि का यही विधान, 
आगे बढ़ ले उसका नाम, 
बर्फ़ीली, ठंड हवाओं में, 
गल-गल गल-गल गल-गल गल . . . 

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