भर परों में आग पक्षी

15-11-2021

भर परों में आग पक्षी

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 193, नवम्बर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

सो चुका अब तक बहुत, 
अब जाग फिर से जाग पक्षी, 
संघर्ष पथ तुझको बुलाता, 
निज लक्ष्य को तू भाग पक्षी॥
 
नीरव निशा की शांति लेकर, 
भोर की तुम कान्ति लेकर, 
उड़ चलो ऊँचाइयों में, 
आकाश की गहराइयों में, 
पुनः साहस आँक पक्षी, 
जाग फिर से जाग पक्षी॥
निज लक्ष्य को तू भाग पक्षी॥
 
कितनी घिरें काली घटाएँ, 
काल की अगणित बलाएँ, 
वात - झंझा रहें सीमित, 
या क्षितिज तक फैल जाएँ, 
मत माँग तरुवर से शरण, 
युद्ध का तू कर वरण, 
भर परों में आग पक्षी, 
जाग फिर से जाग पक्षी, 
निज लक्ष्य को तू भाग पक्षी॥

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