जो क्षमा माँग लेंगे 

15-09-2025

जो क्षमा माँग लेंगे 

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 284, सितम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

जकड़ लो मगरमच्छो! 
शरीर से एक लोथड़ा मांस निकाल लो 
किसी को नदी मत पार करने दो 
शासन! गिरफ़्तार कर लो इस तुच्छ कंकड़ को 
इसकी हिम्मत कैसे हुए तुम्हारे शांत पानी में—
थोड़ी सी हलचल मचाने की! 
पैरों को भी मत छोड़ो
ये रास्तों के मोड़ों का सम्मान करना बिल्कुल भूल चुके हैं 
इस शब्द को तुरंत गाली घोषित करो 
ये अपने अर्थ से सम्बद्ध होने की कोशिश कर रहा था
1858 का घोषणा पत्र जारी करो 
महारानी विक्टोरिया का भाषण सुनाओ
जो क्षमा माँग लेंगे
उनकी कविताएँ बख़्श दी जाएँगी
उनकी पत्रिकाएँ बिकती रहेंगी
उनके मुकुटों पर सोने का पानी चढ़ा रहेगा! 
 

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