उतरो रे सूर्य गगन से . . . 

01-05-2022

उतरो रे सूर्य गगन से . . . 

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 204, मई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

उतरो रे सूर्य गगन से . . .

दीनों, क्षुधितों के कौर बनो, 
बेघर मानव के ठौर बनो, 
निर्मूल करो तम को मन से, 
उतरो रे सूर्य गगन से . . .। 
 
मानवता की सेज बनो, 
दुष्टों हित भीषण तेज बनो, 
दुःख-दैन्य-ईर्ष्या-राग-द्वेष 
का करो नाश संपूर्ण भुवन से, 
उतरो रे सूर्य गगन से . . . 
 
थके पथिक की आस बनो, 
वीरों की अगली साँस बनो, 
स्वेद सुखाओ कृषकों का
हिलमिल चलती शीत पवन से, 
उतरो रे सूर्य गगन से . . . 
 
तुम तेजपुंज, कितने विराट! 
हम ज्योतिहीन मानव उचाट, 
अपने रथ से नीचे आकर, 
लो खींच हमें काले घन से, 
उतरो रे सूर्य गगन से . . .। 

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