विचार

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 217, नवम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

मैं कभी नहीं मरूँगा! 
तुम्हारी नकार से ही
मेरा अस्तित्व प्रमाणित होगा! 
तुम्हारी हर सुरक्षा भेदकर
मैं पहुँच जाऊँगा झोंपड़ी के कान तक
बिना माइटोकांड्रिया के भी
मेरी कोशिकाएँ द्विगुणित त्रिगुणित होंगी
मेरे शरीर का निर्माण होता रहेगा 
अपनी संतति बनाये रखने के लिए
मुझे किसी गर्भाशय की आवश्यकता नहीं! 

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