चराग़े-दिल

शबनमी होंठ ने छुआ जैसे
कान में कुछ कहे हवा जैसे।
 
लेके आँचल उड़ी हवा जैसे
सैर को निकली हो सबा जैसे।
 
उससे कुछ इस तरह हुआ मिलना
मिलके कोई बिछड़ रहा जैसे।
 
इक तबीयत थी उनकी, इक मेरी
मैं हंसी उनपे बल पड़ा जैसे।
 
लोग कहकर मुकर भी जाते हैं
आँख सच का है आईना जैसे।
 
वो किनारों के बीच की दूरी
है गवारा ये फ़ासला जैसे।
 
शहर में बम फटा था कल लेकिन
दिल अभी तक डरा हुआ जैसे।

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