चराग़े-दिल

किस्मत हमारी हमसे ही माँगे है अब हिसाब
ऐसे में तुम बताओ कि हम दें भी क्या जवाब।

अच्छाइयाँ बुराइयाँ दोनों हैं साथ साथ
इस वास्ते हयात की रंगीन है किताब।

घर बार भी यहीं है तो परिवार भी यहीं
घर से निकल के देखा तो दुनियाँ मिली ख़राब।

पूछूंगी उनसे इतने ज़माने कहाँ रहे
मुझको अगर मिलेंगे कहीं भी वो बेनकाब।

मुस्काते मंद मंद हैं हर इक सवाल पर
हर इक अदा जवाब की उनकी है लाजवाब।

पिघले जो दर्द दिल के, सैलाब बन बहे
आँखों के अश्क बन गए मेरे लिये शराब।

‘देवी’ सुरों को रख दिया मैंने संभालकर
जब दिल ने मेरे सुन लिया बजता हुआ रबाब।

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