चराग़े-दिल

रिश्ता तो सब ही जताते हैं
पर कुछ ही खूब निभाते हैं।
 
दुख दर्द हैं ऐसे महमां जो
आहट के बिन आ जाते हैं।
 
गर्दिश में सितारे हैं जिनके
वो दिन में भी घबराते हैं।
 
विश्वास की दौलत वालों को
रातों के अँधेरे भाते हैं।
 
ज़ंजीर में यादों की देवी
हम खुद को जकड़ते जाते हैं।

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