चराग़े-दिल

मेरा वजूद टूटके बिखरा यहीं कहीं
मेरी नज़र से ढूँढ लो होगा यहीं कहीं।

वीरान दिल की बस्तियाँ आबाद थी कभी
ख़ुशबू का सिलसिला कभी महका यहीं कहीं।

फूलों की सोहबतों ने यूँ आदत बिगाड़ दी
भूली मैं कैसे ख़ार भी चुभा था यहीं कहीं।

जब भी मिली हैं मंजिलें मेरे वजूद से
राहों में मेरा काफिला छूटा यहीं कहीं।

खुशियों की खाहिशें सभी सीने में कैद है
अफसोस ग़म भी पास मिलेगा यहीं कहीं।

बेदर्द वक़्त की चलीँ कुछ ऐसी आँधियाँ
देवी हमारा आशियां बिखरा यहीं कहीं।

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