चराग़े-दिल

वो अदा प्यार भरी याद मुझे है अब तक
बात बरसों की मगर कल की लगे है अब तक।
 
हम चमन में ही बसे थे वो महक पाने को
ख़ार नश्तर की तरह दिल में चुभे है अब तक।
 
जा चुका कब का ये दिल तोड़ के जाने वाला
आखों में अश्कों का इक दरिया बहे है अब तक।
 
आशियां जलके हुआ राख, ज़माना गुज़रा
और रह रह के धुआँ उसका उठे है अब तक।
 
क्या ख़बर वक़्त ने कब घाव दिये थे ‘देवी’
वक़्त गुज़रा है मगर खून बहे है अब तक।

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