चराग़े-दिल

साथ चलते देखे हमने हादसों के काफ़िले
राह में रिश्तों के मिलते रिश्वतों के काफिले।

साथियों नें साथ छोड़ा इसका मुझको ग़म नहीं
साथ मेरे चल रहे हैं हौसलों के काफ़िले।

जाने क्यों रखती हैं मुझसे दुश्मनी आबादियाँ
साथ चलते हैं मिरे बरबादियों के काफ़िले।

या नेक नामी से मेरी जलने लगी आबादियाँ
साथ में मेरे चले आज़ादियों के काफिले।

बीच में रिश्तों के कोई तो कड़ी कमज़ोर है
टूटते हैं किस लिये यूँ बंधनों के क़ाफ़िले।

हम कहाँ ढूँढे वो अपनापन वो आँगन प्यार का
खुद ब खुद बढ़ते रहे हैं उलझनों के क़ाफ़िले।

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