चराग़े-दिल

किसी से कभी बात दिल की न कहना
न होगा किसी को भी सुनना गवारा।

सफर में रहे साथ रख़्ते-सफ़र भी
कहीं पड़ न जाए कहीं तुमको रुकना।

कभी बाँध पाया न कोई समय को
न देखा कभी हमने ऐसा करिश्मा।

कभी दौड़ में तू था पहले, कभी मैं
पड़ा तुझको मुझको कई बार थकना।

फिसलती हुई रेत है उम्र मानो
न जाने यूँ सहरा में कब तक है रहना।

गनीमत है साँसों का चलना ऐ ‘देवी’
थमेंगी जो ये तो तुझे भी है थमना।

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