चराग़े-दिल

हैरान है ज़माना, बड़ा काम कर गए
हम मुश्कलों के दौर से हँस कर गुज़र गए।
 
ढूँढा किये वजूद को अपने ही आस-पास
देखा जो आईना तो अचानक बिखर गए।
 
अश्कों को हमने आँखों से बहने नहीं दिया
सैलाब खुश्क आँखों से बहते मगर गए।
 
आबाद वो वहाँ न थे, उजड़ी हूँ मैं यहाँ
लेकर ख़बर हवाओं के रुख़, हर डगर गए।
 
इतने सवाल हैं यहाँ किस किस को दें जवाब
हैं मसअले वहीं के वहीं, हल ठहर गए।
 
देवी कभी दवा न दुआ काम आ सकी
ऐसा हुआ इलाज कि सब ज़ख़्म मर गए।

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