चराग़े-दिल

बारिशों में बहुत नहाए हैं
आज हम धूप खाने आए हैं।

अश्क जिनके लिये बहाए हैं
आज वो खु़द ही मिलने आए हैं।

लेके माँ की दुआ मैं निकली हूँ
दूर तक रास्तों में साए हैं।

घिर गई हूँ न जाने किनके बीच
लोग अपने लगे पराए हैं।

दिल की बाज़ी लगाई है अक्सर
गो कि हर बार मात खाए हैं।

हौसले देखिये हमारे भी
आँधियों में दिये जलाए हैं।

मुस्कराकर भी देखिये ‘देवी’
अश्क तो उम्र भर बहाए हैं।

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