चराग़े-दिल

आँसुओं का रोक पाना कितना मुश्किल हो गया
मुस्कराहट लब पे लाना कितना मुश्किल हो गया।

बेख़ुदी में छुप गई मेरी ख़ुदी कुछ इस तरह
ख़ुद ही ख़ुद को ढूँढ़ पाना कितना मुश्किल हो गया।

जीत कर हारे कभी, तो हार कर जीते कभी
बाज़ियों से बाज़ आना कितना मुश्किल हो गया।

बिजलियों का बन गया है वो निशाना आज कल
आशियां अपना बचाना कितना मुश्किल हो गया।

हो गया है दिल धुआँ-सा कुछ नज़र आता नहीं,
धुंध के उस पार जाना कितना मुश्किल हो गया।

यूँ झुकाया अपने क़दमों पर ज़माने ने मुझे
बंदगी में सर झुकना कितना मुश्किल हो गया।

साथ ‘देवी’ आपके मुश्किल भी कुछ मुश्किल न थी
आपके बिन मन लगाना कितना मुश्किल हो गया।

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