चराग़े-दिल

तर्क कर के दोस्ती फिरता है क्यों
बनके आखिर अजनबी फिरता है क्यों?
 
चल वहाँ होगी जहाँ शामे-गज़ल
साथ लेकर बेदिली फिरता है क्यों?
 
बैठ आपस में चलो बातें करें
ओढ़ कर तू ख़ामुशी फिरता है क्यों?
 
जब नहीं दिल में खुशी तो किस लिये
लेके होटों पर हँसी फिरता है क्यों?
 
चाहतों के फूल, रिश्तों की महक
लेके ये दीवानगी फिरता है क्यों?
 
दाग़ दामन के ज़रा तू धो तो ले
इतनी लेकर गँदगी फिरता है क्यों?
 
है हकीकत से सभी का वास्ता
करके उससे बेरुख़ी फिरता है क्यों?

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