चराग़े-दिल

क्यों मचलता है माजरा क्या है
ऐ मेरे दिल तुझे हुआ क्या है।

रात भर करवटें बदलने का
ये चला है जो सिलसिला क्या है।

जानती हूँ मैं दर्द की लज़्जत
मुझसे पूछो कि ज़ायका क्या है।

दिल में मेरे हज़ार हैं अरमाँ
जो न पूरे हों फ़ायदा क्या है।

ये तो तेरा हुआ है दीवाना
तू मेरे दिल को जानता क्या है।

तेरे दिल के करीब रहकर भी
तुझमें मुझमें ये फासला क्या है।

दिल में उठता है जो, बता ‘देवी’
"आखिर इस दर्द की दवा क्या है।"

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