चराग़े-दिल

कितने आफ़ात से लड़ी हूँ मैं
तब तेरे दर पे आ खड़ी हूँ मैं।

वो किसी से वफ़ा नहीं करता
कहता है बेवफ़ा बड़ी हूँ मैं।

आसमां पर हैं चाँद तारे सब
इस ज़मीं पर फ़कत पड़ी हूँ मैं।

कद में बेशक बड़ा है तू मुझसे
उम्र में चार दिन बड़ी हूँ मैं।

मैं तो नायाब इक नगीना हूँ
अपने ही साँस में जड़ी हूँ मै।

नाम है ज़िंदगी मगर देवी
अस्ल में मौत की कड़ी हूँ मैं।

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