चराग़े-दिल

दर्द बनकर समा गया दिल में
कोई महमान आ गया दिल में।

चाहतें लेके कोई आया था
आग सी इक लगा गया दिल में।

झूठ में सच मिला गया कोई
एक तूफ़ां उठा गया दिल में।

ख़ुशबुओं से बदन महक उठ्ठा
फूल ऐसे खिला गया दिल में।

मैं अकेली थी और अँधेरा था
जोत कोई जला गया दिल में।

<< पीछे : गर्दिशों ने बहुत सताया है आगे : छीन ली मुझसे मौसम ने आज़ादियाँ >>

लेखक की कृतियाँ

साहित्यिक आलेख
कहानी
अनूदित कहानी
पुस्तक समीक्षा
बात-चीत
ग़ज़ल
अनूदित कविता
पुस्तक चर्चा
बाल साहित्य कविता
विडियो
ऑडियो