चराग़े-दिल

जाने क्या कुछ हुई ख़ता मुझसे
रूठा वो बे सबब न था मुझसे।

जिसको हासिल न कुछ हुआ मुझसे
मौन का अर्थ पूछता मुझसे।

लोग क्या जाने जानने आए
नाता जिनका न था जुड़ा मुझसे।

जिसने रक्खा था कै़द में मुझको
खुद रिहाई था चाहता मुझसे।

ना-शनासों की बस्तियों में, कब
किसने रक्खा है राब्ता मुझसे।

सिलसिला राहतों का टूट गया
दिल की धड़कन हुई खफ़ा मुझसे।

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