चराग़े-दिल

है गर्दिश में क़िस्मत का अब भी सितारा
कभी तो डुबोया कभी तो उभारा।

दबे पाँव तूफ़ान आए हैं कैसे
न कोई ख़बर थी न कोई इशारा।

अचानक ये झड़ने लगे फूल पते
अचानक बदलने लगा है नज़ारा।

यहीं छोड़ कर सब चले जाएँगे हम
रहेगा कहीं भी न कुछ भी हमारा।

मुझे मेरे रब का सहारा मिला है
नहीं चाहिये अब किसी का सहारा।

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