रोटी के रंग

01-07-2025

रोटी के रंग

पवन कुमार ‘मारुत’ (अंक: 280, जुलाई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

(मनहरण कवित्त छन्द)

औरत अकेली अकुलाती अहर्निश आह!, 
कन्त क्यों किया किनारा कैसे धैर्य धरूँगी? 
छोटे-छोटे बाल बिलखते बहुत बेचारे, 
पूछेंगे पिता प्यारे कहाँ क्या कहा करूँगी? 
दरिद्रता दुबाती हूँ सबसे साँझ-सवेरे, 
बच्चे बिलखेंगे भूखे कैसे धैर्य धरूँगी? 
‘मारुत’ मन महिला विचार विचारे वह, 
रोटी कमाने कठिनतम काम करूँगी॥

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