चाय पियो जी

01-07-2025

चाय पियो जी

पवन कुमार ‘मारुत’ (अंक: 280, जुलाई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)


(देव घनाक्षरी छन्द) 
 
चाहत चहुँ ओर चाय की करती कंगाल, 
पति-पत्नी पुत्र-पुत्री पीवत पहर-पहर। 
लत लगी लोगों को करती कमज़ोर काया, 
बीमारी बहू बढ़ा दी देहात शहर-शहर। 
तुरन्त तरोताज़ा तुम्हें करती कैसे कहो? 
कैफ़ीन-करवाल का कुरूप कहर-कहर। 
नहीं नर मानता “मारुत” मना करने की, 
प्राणी पीता प्लास्टिक के कप में ज़हर-ज़हर॥

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