भीतर से मैं कितनी खाली

भीतर से मैं कितनी खाली  (रचनाकार - देवी नागरानी)

9. क्या करें? 

 

क्या करें क्या न करें
पहले कहते थे ये करो
फिर कहते थे वो करो
घर में बैठो, मत हाथ मिलाओ
वही किया जो कहा गया, मन को अपने मारकर
ताली बजाई, दिए जलाये
अब फिर बदल दिए हैं सभी नियम
कहते हैं तुम ख़ुश रहो
तुम मुस्कुराआप, बिलकुल मत घबराओ
अच्छे दिन फिर आयेंगे
कल कहेंगे नाचो गाओ
क्या पता नहीं हमें क्या करना हमका
क्या याद रखना है, क्या भूल जाना है
नहीं, नहीं भूल सकते गुज़रे कल के दिन
यादें उन बीते दिनों की, 
अब करोना की सरकार है
वादों की दरकार है
छोड़ दो हमको हाल पे अपने 
मत कहो क्या करना हमको 
साँसें ये जो चल रही हैं
ख़ुशबू भी कुछ टहल रही
यही ग़नीमत आज है ‘देवी’
बातों से अब मत बहलाओ। 

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