भीतर से मैं कितनी खाली

भीतर से मैं कितनी खाली  (रचनाकार - देवी नागरानी)

20. मुबारक साल 2021

 

रात के बाद की नई प्रभात
मुस्कुराकर कह रही है
नाचो गाओ मुस्कराओ
नए वर्ष का आग़ाज़ है
नए सूर्य का तो है
नए दिन की नयी किरण भी
मुस्कुराकर कह रही है
तुम भी तो नज़रें उठाकर
कुछ नज़ारे देखे लो
शाम तक का समय है
फिर मैं भी अस्त होकर
कल को फिर से आऊँगा
आज बनकर प्रभात। 

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