भीतर से मैं कितनी खाली

भीतर से मैं कितनी खाली  (रचनाकार - देवी नागरानी)

26. नया साल

 

ये नया साल देखो चला आ रहा
मुस्कराकर पुराना चला जा रहा
 
जो गया बीत वो था हमारा ही कल
आज ख़ुशियाँ समेटे चला आ रहा
 
है ख़ुशी का नज़ारा यहाँ हर तरफ़
खिलखिलाहट सभी को सुनाता रहा
 
घूँट ख़ुशियों के पीता रहा हर कोई
गीत ख़ुशियों भरे दिल ये गाता रहा
 
है फिजाँ शोख़ उसमें है शामिल ख़ुशी
जाम से जाम है वक़्त टकरा रहा
 
हो मुबारक ख़ुशी, अलविदा ग़म तुम्हें
दिल दुआओं को ‘देवी' है छलका रहा। 

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