इसलिए ही तो तुम जान हो मेरी

01-07-2025

इसलिए ही तो तुम जान हो मेरी

पवन कुमार ‘मारुत’ (अंक: 280, जुलाई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)


 (मनहरण कवित्त छन्द) 
  
प्रिया प्रेमिका पहचानी पगली पहेली-सी, 
समझदार सजनी सुहानी सुबह-सी। 
चिक चक्षु चाल चंचल चन्द्रमा चाँदनी से, 
प्रण परवाने-सा प्यारी पलाश पुष्प-सी। 
आनन्द आगार अरु अपनापन अथाह, 
संग सुख शोक सहे संगिनी सागर-सी। 
प्रणय परिपूर्ण प्यारे प्राण “मारुत” मेरे, 
चमकती चारु जीवन-ज्योति जुगनू-सी॥

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