प्रेम
संजय श्रीवास्तव
प्रेम को जीवंत सदा बनाए रहा कीजिए।
प्रेम की गंगा है ये बहाते रहा कीजिए।
रिश्तों में कभी भी दूरियाँ ना बढ़ने पाएँ,
एक दूजे से मिलते मिलाते रहा कीजिए।
प्रेम अटूट सत्य है इस नश्वर जीवन का,
दो दिलों का साथ निभाते रहा कीजिए।
दरिया ए इश्क़ है उथले में तैरना कैसा,
डूबकर ही पार इसे करते रहा कीजिए।
प्रेम एक दूजे का, ज़माना समझेगा क्या,
त्याग और सम्मान बनाए रहा कीजिए।
गुलों की तरह सदा मुस्कुराए जीवन,
हाथ साथी का सदा थामे रहा कीजिए।
राह प्रेम की हो भले ही कठिन मगर,
कर्म पर भरोसा बनाए रहा कीजिए।
सफलता की कुंजी तुम्हें बतलाऊँ कैसे,
जीवन में सदा, मुस्कुराते रहा कीजिए।
वक़्त हरदम एक सा रहता नहीं है ‘प्रेम’,
साथ अपनों का निभाते रहा कीजिए।
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