भीतर से मैं कितनी खाली

भीतर से मैं कितनी खाली  (रचनाकार - देवी नागरानी)

22. इल्म और तकनीक

 

मैं कब बड़ी हुई
यह तब पता न चला
जब मैं लड़की थी, मासूम थी
आज जाना जब बड़ी हुई हूँ
कि वह मासूमियत भी
इल्म की सौग़ात थी
तब इल्म न सिखाया
आज तकनीक सिखाती है
इल्म और तकनीक। 

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